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राजस्थान का निर्माण

  राजस्थान की उत्पत्ति और निर्माण

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 राजस्थान की उत्पत्ति    

जैसा कि आप जानते हैं कि पृथ्वी पर 7(सात) महाद्वीप और5( पांच) महासागर हैं। 
जिसमें  29% (29.2%) स्थल एवं 78%(78.8%) जल है। 
तथा महाद्वीपों को  पैंजिया व महासागरों को पैनथालासा कहां गया।
बाद में भूगर्भ में हलचल होनेके कारण धरती दो भागों में बट गई। जिसे अंगारालैण्ड़ एवं गोंडवानालैण्ड़ के नाम से जाना जता है।

पैंजिया 
अल्फ्रेड वेगनर द्वारा पृथ्वी के संपूर्ण स्थलिय भाग को पैंजिया कहा।
कालांतर में भूगर्भिक हलचल के कारण पैंजिया का दो भागोंमें विभाजन हुआ

पैंथालासा
अल्फ्रेड वेगनर द्वारा पैंजिया के चारों ओर स्थित संपूर्ण जल राशियों को पैंथालासा कहा गया
वर्तमान में महासागरों की संख्या 5 ( पांच )है।
जो निम्न है-
      • 1. प्रशांत महासागर(पेसिफिक महासागर)
      • 2. अटाटिक महासागर
      • 3. हिंद महासागर
      • 4.  अंटार्कटिका महासागर
      • 5. आर्कटिक महासागर

नोट:-सभी महासागरो का मूल या मौलिक महासागर प्रशान्त महासागर (पैसेफिक महासागर) हैं।

टैथिस सागर  :-अंगारालैंड एवं गोंडवानालैंड के मध्य स्थित भूसन्नति(अंतराल) जिसमें जल भर जाने के पश्चात टैथिस सागर का निर्माण हुआ।

  • हिमालय पर्वतमाला की उत्पत्ति टैथिस सागर से हुई,                                 इसलिए टैथिस सागर को हिमालय की गर्भ भूमि कहा जाता है।
  • राजस्थान का निर्माण टैथिस सागर, गोंडवानालैंड  से हूआ है।
अरावली पर्वतमाला एवं हाडोती के पठार का निर्माण -: गोंडवानालैंड
मरुस्थल एवं पूर्व मैदान का निर्माण :-टैथिस सागर 

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